तिलक या टीके का महत्त्व

दोस्तों, आजकल फैशन के दौर में हमारी पुरानी परंपराएं काफी पीछे छूट गई है। आधुनिक दौर की महिलाएं पुरानी रीति रिवाज को रूढ़िवाद समझते हुए उनमें आए दिन कुछ ना कुछ नया परिवर्तन करती रहती हैं जिससे वे आज के युग मे मॉडर्न दिखाई दें। पर क्या वे सही कर रही है? इसका फैसला तो उन्हें ही करना चाहिए। 

परंतु आज हम माथे पर टीका या कुमकुम लगाने के विषय में कुछ तथ्य लाए हैं। आशा है आप इन पर गौर करेंगे।

महिलाएं अक्सर माथे पर हल्दी कुमकुम के टीके के स्थान पर नकली टीका यानी प्लास्टिक वाली बिंदी लगाती है और सिन्दूर की जगह लिपस्टिक। 

दोस्तों यह है हमारे सनातन धर्म की परंपरा नहीं थी इसलिए महिलाओं को चाहिए कि एक गीली तीली से
रोजाना माथे पर कुमकुम लगाएं।

- टीका कुमकुम, केसर, चन्दन, हल्दी या भभूत का हो सकता है।

- चन्दन का टीका लगाने से ठंडक मिलती है।

- तिलक में अंगूठे के प्रयोग से शक्ति , मध्यमा के प्रयोग से दीर्घायु ,अनामिका से समृद्धि और तर्जनी से मुक्ति प्राप्त होती है।

- केसर तिलक भी बहुत शुभ और एकाग्रता बढाने वाला होता है। 

- केसर व गोरोचन ज्ञान-वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। अतः ज्ञानी लोग इसी का प्रयोग करते है।

- परम योगी लोग कस्तुरी का प्रयोग करते हैं। यह
ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, प्रेम, सौन्दर्य, ऐश्वर्य सभी का प्रतीक है।

- हल्दी से बेहतर दूसरा एंटी-औक्सिडेंट है ही नहीं; यह कई बीमारियाँ रोकता है। किसी वैज्ञानिक ने कहा था कि हमारे भौहों के नीचे, आँखों के बीच और माथे में ऊपर की ओर इन तीन स्थानों पर तीन अलग-अलग तरह के जीवाणु रहते हैं। जब पुरुष भस्म का और महिलायें सिन्दूर का प्रयोग करते हैं तो इन जीवाणुओं के कुप्रभाव से पीनियल ग्रंथि बची रहती है।

- सिन्दूर सुपारी की राख और हल्दी या फिर हल्दी में
फिटकरी मिलाकर बनाया जाता है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। यह मांग
के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में
रखता है। विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव, चिंता और
अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं। पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।

- सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक होनेके कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पडती। साथ ही इससे स्त्री के शरीर में स्थित विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है।

- पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में सिन्दूर का रंग चटक
केसरिया होता है, इसे कच्चा सिन्दूर कहते हैं।

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