तिलक से जुडी यह कहानी ज़रूर पढ़ें

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भारतीय संस्कृति में स्त्री हो या पुरुष आज्ञा चक्र पर तिलक लगाने का रिवाज रहा है. इस बात को एक घटना के माध्यम से टीके के महत्व को जान सकते है.
भारतीय संस्कृति में स्त्री हो या पुरुष आज्ञा चक्र पर तिलक लगाने का रिवाज रहा है
काशी के प्रसिद्ध वैद्य त्रयम्बक शास्त्री एक बार छत पर किसी के साथ बैठे हुए थे. नीचे सड़क पर एक आदमी जा रहा था. त्रयम्बक शास्त्री ने कहा-" घर जाकर वह मर जाएगा."

कौतूहल के कारण उनके साथ के व्यक्ति ने उस आदमी का पीछा किया. कुछ दूर एक झोपड़े में वह रहता था. वह अन्दर गया. थोड़ी देर बाद ही अन्दर से रोने की आवाजें आने लगीं. वह आदमी मृत्यु को प्राप्त हो गया था.

व्यक्ति ने लौटकर त्रयम्बक शास्त्रीसे पूछा: " आपने कैसे समझ लिया था ?"
त्रयम्बक शास्त्री बोले: " उस आदमी को देखने से स्पष्ट था कि उसकी प्राण शक्ति ख़त्म हो चुकी है. पर वह नंगे पैर चल रहा था एवं चन्दन का तिलक लगाए हुए था जिसे उसे पृथ्वी से ऊर्जा मिल रही थी. उसी ऊर्जा के सहारे उसकी ज़िंदगी खिची चल रही थी. मुझे पता था कि घर जाकर वह चारपाई (लकड़ी की होती है) पर बैठेगा और पैर उठाकर ऊपर रखेगा.. उसी क्षण वह ऊर्जा मिलनी बंद हो जायेगी और उसका देहांत हो जाएगा."

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