सूर्य को जल चढ़ाने का नियम और मंत्र- ये है अर्घ देने का सही समय

कैसे दें सूर्य को अर्घ्य

सूर्य को  हमारे घर्म ग्रन्थों में सभी ग्रहों का राजा बताया गया है। सूर्य की उपासना करने से हमें हर तरह के वैभव की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को अर्घ देने की विशेष महत्ता बताई गई है।

परंतु क्या आप जानते हैं कि सूर्य को इतना महत्व देने के पीछे और क्या क्या कारण है? आइए जानते हैं...

ज्योतिष में 12 राशि और नौ ग्रहों का अध्ययन किया जाता है। सभी नौ ग्रहों का अपना-अपना महत्व होता है। लेकिन इन सभी में सूर्य को विशेष दर्जा प्राप्त है। जी हां, सूर्य को ग्रहों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता बल्कि उसे पिता का भी दर्जा दिया जाता है। आइए सूर्य ग्रह के बारे में और जाने सूर्य को ग्रहों कर राजा क्यों कहा जाता है। 

सूर्य का स्वभाव राजा के समान ही होता है। वह किसी भी मामले में समझौता पसंद नहीं करता है। यही कारण है कि जिन लोगों की कुंडली में सूर्य बहुत अच्छी स्थिति में होता है, उनका रहन-सहन, तौर तरीके बिल्कुल राजसी ठाट बाट वाले होते हैं।

इन लोगों को पहचानना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होता। ऐसे लोग भीड़ में भी नजर जाते हैं। सूर्य को स्वर्ण (Gold) एवं गेहूं (Wheat) का कारक भी माना गया है। अतः कुंडली में सूर्य की अच्छी और उचित स्थिति भाग्य को सोने की तरह चमकाने की भी ताकत रखती है। सूर्य को यश प्रदान करने वाला भी कहा गया है। इसलिए सूर्य के प्रभाव से जातक प्रसिद्धि को प्राप्त करता है। ऐसे लोग राजनीति में भी नाम कमाते हैं और सरकारी पदों में उच्च पद पर बैठते हैं।

लेकिन इसके विपरीत स्थिति जातक के लिए बदनामी और आरोपों से जूझते हुए पाए जाते हैं।

सेहत पर सूर्य के प्रभाव क्या क्या होते हैं?

सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो सूर्य को हड्डी और दाएं आंख से जोड़ा जाता है। सूर्य के प्रभाव में कमी होने पर जातक को हड्डी और आंखों की समस्या का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब सूर्य की दशा चल रही हो।


सूर्य उपासकों को निम्नलिखित नियमों का पालन भी करना चाहिए : -

1. प्रतिदिन सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ कर शुद्ध, पवित्र स्नान से निवृत्त हों।

2. नहाने के बाद श्री सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।

3. ‍नित्य संध्या के समय पर अर्घ्य देकर प्रणाम करें।

4. सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें।

5. आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें।

6. स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने एवं अंधेपन से रक्षा के लिए 'नेत्रोपनिषद्' का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए।

7. रविवार को तेल, नमक नहीं खाना चाहिए तथा एक समय ही भोजन करें।


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