साधु संत क्यों पहनते हैं भगवा या गेरूआ वस्त्र- Why Monk wear Gerua Clothes

साधु सन्यासी गेरुआ क्यों पहनते हैं -
Benefits of Wearing Gerua Clothes

Benefits of wearing Gerua Clothes

आपने अक्सर साधू सन्यासियों या Buddhist Monk को गेरुए रंग के कपड़े में देखा होगा। आपके मन ये ये विचार जरूर आया होगा कि आखिर ये सब लोग एक ही तरह के, गेरुए रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं? आखिर क्या खास बात है गेरुए रंग में? आइए जानते हैं...


गेरुआ रंग इस बात की घोषणा है कि जीवन में एक नया प्रकाश आ गया है। सुबह-सुबह जब सूर्य निकलता है, तो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता है। इसे भगवा, गेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं। गेरुआ कपड़ा यही दिखाने के लिए पहनते हैं कि आपके जीवन में एक नया सवेरा हो गया है। 

दूसरी चीज है बाहरी दुनिया। जब आप यह रंग पहनते हैं तो लोग जान जाते हैं कि यह संन्यासी है।

हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्रों का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है और आज्ञा ज्ञान-प्राप्ति का सूचक है। 

जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं, वे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं। इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं। कोई व्यक्ति सिर्फ इसी वजह से सर्व-गुण-संपन्न या कहें दोषरहित नहीं हो सकता कि उसने संन्यास ले लिया है।

वह ऐसा बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह संपूर्ण नहीं है। उसकी अपनी कमजोरियां हैं, उसकी अपनी समस्याएं भी हैं। तो जब वह एक खास किस्म के और खासकर गेरुआ वस्त्र पहनता है तो उसके आसपास के लोग उसे समझते हैं और उसकी मदद करते हैं।

इसलिए भी गेरूआ या नारंगी रंग का कपड़ा पहना जाता है :- 

चूंकि आप एक खास किस्म के वस्त्र पहने हैं, इसलिए उन्हें पता है कि उस तरह की बातें आपसे नहीं करनी हैं। तो इस तरह दुनिया से आपको मदद मिलती है।

नारंगी रंग पकने का भी सूचक है। प्रकृति में जो भी चीज पकती है, वह आमतौर पर नारंगी रंग की हो जाती है। यानी अगर कोई व्यक्ति परिपक्वता और समझदारी के एक खास स्तर तक पहुंच गया है तो उसका मतलब है कि उसका रंग नारंगी हो गया। नारंगी रंग एक नई शुरुआत और परिपक्वता का सूचक है।

यह आपके आभामंडल और आज्ञा चक्र से भी जुड़ा है, यह ज्ञान का भी सूचक है और यह भी बताता है कि इस इंसान ने एक नई दृष्टि विकसित कर ली है। जिसने नई दृष्टि विकसित कर ली, उसके लिए भी और जो विकसित करना चाहता है, उसके लिए भी नारंगी रंग पहनना अच्छा है।

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