गोत्र और शादी का क्या रिश्ता है?
हमारे शास्त्रों में गोत्र का बहुत महत्व है। खासकर पूजा-पाठ और विवाह के समय गोत्र की जानकारी का होना जरूरी माना जाता है। हिंदू रीति- रिवाज के अनुसार अगर किसी से शादी करनी है तो बिना गोत्र जानें नहीं करनी चाहिए।
अगर एक गोत्र के लड़का और लड़की दोनों मिल जाते हैं तो शादी नहीं होती है। आइए जानते हैं आखिर हमारे समाज में गोत्र को इतना महत्व क्यों दिया जाता है और क्या है इसके पीछे का मुख्य कारण.
दोस्तों इसके कुछ वैज्ञानिक कारण
हैं.
एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक
कार्यक्रम
देख रहा था ...उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की
जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है
"सेपरेशन ऑफ़ जींस"
मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए. क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% चांस होती है ..
फिर मुझे बहुत ख़ुशी हुई जब उसी कार्यक्रम में ये दिखाया गया की आखिर हिन्दूधर्म में हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ? हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते है और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. उस वैज्ञानिक ने कहा की आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा की हिन्दूधर्म ही विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है !
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