सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के जबरदस्त प्रयोग | नवरात्रि में जरूर आजमाएं
दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे स्तोत्र के बारे में जो बहुत ही विलक्षण है। जिसकी बहुत ख्याति है। दुर्गा उपासना में आस्था रखने वाले उसकी महिमा को भी जानते हैं और उसका पाठ भी करते हैं। वह अदभुत स्तोत्र है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा
आपने गौर किया होगा इस स्तोत्र के नाम में ही सिद्ध शब्द जुड़ा हुआ है। दुर्गा सप्तशती में और भी कई सारे स्तोत्र हैं लेकिन इस स्तोत्र के पाठ के बिना पूजा पूरी नहीं होती।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की इतनी महिमा क्यों है? इसके कौन-कौन से प्रयोग हैं जिन्हें करते हुए मनुष्य मां भगवती की कृपा प्राप्त कर अपने सांसारिक लक्ष्यों और इच्छाओं की पूर्ति कर पाता है, आइए जानते हैं।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की शुरुआत करने से पहले हमें भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। उनके नीलकंठ स्वरूप की छवि मन में लानी चाहिए। उसके बाद सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ शुरू करना चाहिए। क्योंकि भगवान शिव ने स्वयं ही इस स्तोत्र की महिमा का वर्णन किया है।
इसमें मंत्र और स्त्रोत्र दोनों का अलग-अलग पाठ करना चाहिए। मंत्र की शुरुआत होती है,
ॐ ऐं ह्रीम क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः से फट स्वाहा तक।
इसमें चामुण्डायै विच्चे के बाद 'नमः' शब्द जरूर जोड़ना चाहिए। इस मंत्र का 11, 21 या कितनी बार भी जाप कर सकते हैं अपनी प्रयोग और प्रयोजन के हिसाब से।
अलग-अलग उद्देश्यों के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के प्रयोग
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ है उपांशु स्वरूप में करना चाहिए। जिसका मतलब होता है आवाज ना तो बहुत स्पष्ट हो और ना ही बहुत धीमी।
वर्चस्व की प्राप्ति के लिए
धन की प्राप्ति के लिए
साधकों को कमलगट्टे की माला से मंत्र का पाठ करना चाहिए।
विद्या और वाक् सिद्धि प्राप्त करने के लिए
साधकों को स्फटिक की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसकी 3 या 5 माला का जाप करना चाहिए। उसके बाद स्रोत का पाठ करना चाहिए और अंत में बटुक भैरव की उपासना करनी चाहिए।
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