वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा हो आपका पूजा घर
घर में पूजा घर का सबसे बढ़िया स्थान नॉर्थईस्ट होता है उत्तर पूर्व दिशा में पूजा घर जब भी बनाएं तब कोशिश करें कि पॉज पूजा करते हुए आपका चेहरा पूरब दिशा की तरफ हो ना की उत्तर दिशा में
पूरब दिशा की तरफ चेहरा करके पूजा करते हुए पूजा करते हुए धूप अगरबत्ती जब भी जलाएं तब आपको दक्षिण दिशा यानी अग्नि कोण की तरफ जलाएं
पूजा करते हुए जब अगर हमें किसी पात्र में जल भर के रखना होता है तो उसे उत्तर की तरफ रखना चाहिए
जब भी हमें पूजा घर बनाना हो तो कोशिश करें कि वह लकड़ी का हो या हल्के मार्बल का हो इस बात का ध्यान रखें कि अगर मार्बल का बना रहे हैं तो वह ज्यादा भारी ना हो क्योंकि नॉर्थ ईस्ट की दिशा में बाहरी चीजें नहीं होनी चाहिए हल्की और कम वजनदार और तू ही इस दिशा में वस्तुएं ही इस दिशा में रखनी चाहिए क्योंकि प्लास्टिक और किसी धातु का प्रयोग पूजा घर को बनाने में नहीं प्रयोग करना चाहिए
पूजा घर में प्रयोग होने वाली मूर्ति की हाइट 9 इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए हेलो हेलो अगर मूर्ति में छतरी जैसे डिजाइन बने हुए हैं तो वह 9 इंच से भी बड़े हो सकते हैं लेकिन जो मुख्य मूर्ति है उसकी ऊंचाई 9 इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए
पूजा घर में अगर अग्रेसिव भगवान की मूर्ति है जैसे हनुमान दुर्गा काली तो इन मूर्तियों को साउथ फेसिंग यानी दक्षिण की तरफ मुख करके रखना चाहिए। अगर आप भगवान श्री राम के राम दरबार की फोटो यह तस्वीर या मूर्ति लगाते हैं तो वह पश्चिम फेसिंग होनी चाहिए यानी पूजा करते हुए हमारा चेहरा पूरब दिशा में होना चाहिए। अगर किसी परिवार में पति और पत्नी दोनों नौकरी करते हैं और दिन की पूजा नहीं कर पाते तो नहीं चाहिए कि शाम के समय की पूजा जैसे संध्या कहते हैं वह करनी चाहिए ऐसे में वेस्ट फेसिंग मूर्तियों की दिशा को ईस्ट फेसिंग कर देना चाहिए हमारा चेहरा पश्चिम की तरफ होना चाहिए क्योंकि वह सूर्य के अस्त होने की दिशा है.
पूजा के कमरे में मूर्तियों के ऊपर धूम या छत रख सकते हैं क्योंकि आजकल मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में लोग रह रहे होते हैं ऊपर के कमरे में रहने वाले लोगों नहीं आप के मंदिर के ऊपर ना जाने क्या-क्या बना रखा हो इसलिए मंदिर में छात्र लगा सकते हैं 1 देवी देवता की ज्यादा से ज्यादा मूर्ति ना
हर घर में पूजा घर तो होते ही हैं। पूजा घर बनाते समय अधिकांश लोग कुछ बातों पर ध्यान नहीं देते। यदि पूजा घर भी वास्तु के नियमों के अनुसार बनाया जाए तो बेहतर होता है।
* पूजा घर के पूर्व या पश्चिम दिशा में देवताओं की मूर्तियां होनी चाहिए।
* पूजा घर में रखी मूर्तियों का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
* देवताओं की दृष्टि एक-दूसरे पर नहीं पड़नी चाहिए।
* पूजा घर के खिड़की व दरवाजे पश्चिम दिशा में न होकर उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए।
* पूजा घर के दरवाजे के सामने देवता की मूर्ति रखनी चाहिए।
* पूजा घर में बनाया गया दरवाजा लकड़ी का नहीं होना चाहिए।
* वास्तु के अनुसार जिस जगह भगवान का वास रहता है, उस दिशा में शौचालय, स्टोर इत्यादि नहीं बनाए जाने चाहिए।
* पूजा घर के ऊपर या नीचे भी शौचालय नहीं बनाना चाहिए।
* वास्तुशास्त्र के अनुसार बेडरूम में पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।
* पूजा घर के लिए प्राय: हल्के पीले रंग को शुभ माना जाता है, अतः दीवारों पर हल्का पीला रंग किया जा सकता है।
* फर्श हल्के पीले या सफेद रंग के पत्थर का होना चाहिए।
इन कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर पूजा घर बनाया जाना चाहिए। जो हमें सुख-समृद्धि के साथ-साथ हमारे जीवन को खुशहाल और हमें हर तरह से संपन्न बनाते है।
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