स्वरोदय के माध्यम से असाध्य रोगों से मुक्ति संभव | Swar Vigyan in Disease
स्वरोदय के प्रयोग
सबसे पहले तो भूमी पर ध्यान मुद्रा में बैठकर अपनी जीभ को उलटकर तालू से स्पर्श करें। उसके बाद दाहिने नथुने को बन्द करके सिर्फ बाँए नथुने से ही साँस अन्दर की ओर खीँचे और छोडें। लगभग 15-20 मिन्ट तक नियमित रूप से रोजाना करें तो कुछ दिनों में ही आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे।
ये अनुभवसिद्ध प्रयोग है, जिसे सैंकडों बार कई प्रकार के रोगों से पीडित व्यक्तियों पर आजमाया जा चुका है। लेकिन आज तक एक बार भी इसमें असफलता का मुख देखने को नहीं मिला।
यदि कोई भी रोगग्रसित व्यक्ति नियमित रूप से रोजाना इसे करे तो गारन्टी सहित उसे शुभ परिणाम मिलने लगेंगे। इसका कारण ये है कि सहस्त्रार से निरन्तर टपकने वाला जो चन्द्रामृ्त(दिव्य रस) है,वो व्यक्ति के शरीर में अच्छी तरह से पहुचकर उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को अद्भुत रूप से बढा देता है, जिससे कि बडे से बडे असाध्य एवं प्राणघातक रोगों से भी शनै: शनै: पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है। इसमें सबसे बडी बात ये है कि इसे करने के दौरान अपनी जीवन पद्धति में बदलाव लाने या अपने खानपान में किसी परिवर्तन करने की भी कोई आवश्यकता नहीं। बस कीजिए ओर कुछ दिनों पश्चात उसका फल देखिए.
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