हस्तरेखा:आपकी हथेली पर बैठे हैं सारे ग्रह | Self Palm Reading
अपनी हथेली पर देखें सारे ग्रहों का हाल
सामुद्रिक शास्त्र हमारे अंगो की बनावट देखकर भविष्य बताने का विज्ञान है। इसमें न तो हमें जन्म कुंडली की ज़रुरत पड़ती है और न ही ज्योतिष के कठिन गुणा भाग की। सिर्फ हमारे बाहरी शरीर को देखकर भी हमारे भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है।
हमारी हथेली की रेखाओं व उभरे हुए भागों से भी हम अपने भविष्य का पता लगा सकते हैं। हमारी हथेलियों में उँगलियों के नीचे के भाग को पर्वत कहा गया है। इन्हीं पर्वतों के द्वारा जातक के स्वभाव की विशेषताएँ भी मालूम होती हैं।
बुध क्षेत्र
किनारे की सबसे छोटी उँगली के नीचे के उभरे हुए भाग को बुध क्षेत्र या बुध पर्वत कहते हैं। बुध का स्वभाव दृष्टि सजग रखने का है। बुध क्षेत्र के उभरे भाग वाले व्यक्ति यात्रा अधिक करते हैं। ऐसे व्यक्ति वाक्शक्ति यानि बोलने की कला में माहिर होते हैं। उनसे बातों में जीतना आसान नहीं होता. परन्तु उनका मन अस्थिर रहता है।
व्यापार-व्यवसाय में यह पर्वत लाभ दिलवाता है। इस पर्वत पर खड़ी तीन रेखाएँ हों तो व्यक्ति चिकित्सकीय क्षेत्र में यश पाता है। दबा हुआ पर्वत विवेकहीनता प्रकट करता है। यानि वो इन्सान जल्दिबदी में कुछ भी निर्णय ले लेता है और बाद में पछताता है.
शुक्र क्षेत्र
आपकी हथेली में अँगूठे के मूल से जीवन रेखा तक फैले भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं। शुक्र विलासिता का प्रतीक होता है. इसका मतलब कि अगर यह पर्वत ऊँचा हो तो व्यक्ति का स्वास्थ्य, सौंदर्य, प्रेम, संतान सुख में मदद मिलती है। ऐसा व्यक्ति दयावान, कला-संगीत प्रेमी होता है। अति विकसित पर्वत व्यक्ति के प्रेम संबंधों की ओर संकेत करता है।
सपाट-समतल पर्वत व्यक्ति में आध्यात्मिकता की तरफ झुकाव बताता है (साधू सन्यासियों के हाथों में यह पर्वत सपाट मिलेगा) यदि पर्वत स्त्री के हाथ में बहुत उभरा हो तो यह उसके कामुकता का प्रतीक होता है। स्त्री बहुत कामुक प्रवर्ति की होगी.
शनि क्षेत्र
मध्यमा यानि middle finger के नीचे हृदय रेखा तक फैले क्षेत्र को शनि पर्वत कहते हैं। शनि पर्वत यदि उभरा हुआ तो व्यक्ति एकांतप्रिय, भाग्यवादी, गंभीर, दूरदर्शी, आध्यात्मिक और परिश्रमी होता है।
उच्च पर्वत वाले गंभीर स्वभाव के होते हैं। उम्मीद के अनुसार फल न मिले तो ये ज्यादा चिढ़ जाते हैं। शंकाशील स्वभाव के कारण पारिवारिक व्यक्तियों के साथ संबंध स्थापित नहीं कर सकते। अधिक उभरे पर्वत व्यक्ति को उदासीन, अध्यात्मवादी और दार्शनिक बनाता है।
सूर्य क्षेत्र
अनामिका ( यानि ring finger) के नीचे का क्षेत्र सूर्य क्षेत्र कहलाता है। आपकी हथेली में अगर ये भाग उभार वाला हो तो व्यक्ति दार्शनिक, बौद्धिक, विद्वान, लेखक, वक्ता, धर्मगुरु होता है। और यदि सूर्य क्षेत्र दबा हुआ हो तो मंदबुद्धि और ख्यातिविहीनता प्रकट करता है।
सूर्य पर्वत क्षेत्र पर यदि तीन खड़ी रेखाएँ हों तो उसे अत्यंत शुभ माना जाता है। सूर्य क्षेत्र में आड़ी तिरछी रेखाओं को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी दशा अस्वस्थता प्रकट करती है। व्यक्ति अक्सर बीमार रहेगा।
चंद्र क्षेत्र
आपकी हथेली के मणिबंध के ऊपर और हथेली के बाएँ भाग के नीचे का क्षेत्र चंद्र पर्वत कहलाता है। चंद्र पर्वत वाले व्यक्ति कल्पनाशील, संवेदनशील, कवि, कलाकार, सौंदर्यप्रेमी और साहित्यकार होते हैं।
यह क्षेत्र मानसिक चिंता और चंचल बुद्धि प्रकट करता है। इस क्षेत्र में कोई रेखा शुक्र पर्वत तक पहुँच गई हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
गुरु पर्वत
यदि उभरे गुरु पर्वत वाले व्यक्ति की तर्जनी ऊँगली लंबी हो तो उसमें लापरवाही के अवगुण आ जाते हैं। व्यक्ति लापरवाह होता है। एक बार कहने पर कोई बात सुनता नहीं। ऐसे लोग तानाशाह प्रवृति के भी हो सकते हैं।
वैसे तर्जनी के छोटी होने पर ऐसा नहीं होता है। उंगली के विकृत होने की स्थिति में वह व्यक्ति काफी धूर्त, पाखंडी या चालाक और स्वार्थी होता है। इसके अतिरिक्त तर्जनी की तीन खंडों में पहले खंड के लंबा होने पर व्यक्ति धर्मपरायण, राजनीतिज्ञ या शि़क्षाविद हो सकता है, जबकि दूसरे खंड के लंबा होने पर उसमें सफल कारोबारी के गुण आ सकते हैं। इसी तरह से तीसरे खंड के लंबा होने पर व्यक्ति स्वादिष्ट व्यंजनों का शौकीन होता है।
मंगल क्षेत्र
गुरु पर्वत के नीचे और बुध तथा चन्द्र क्षेत्र के बीच मंगल पर्वत होता है। मंगल का सामान्य गुण बल, साहस, निर्भयता आदि है। रक्त को उत्तेजित करता है। ऐसे व्यक्ति कठिनाई से विचलित नहीं होते हैं। आलोचना सुनना पसंद नहीं करते। जल्दी गुस्सा हो जाते हैं। दृढ़ स्वभाव के होते हैं। अति विकसित क्षेत्र उग्र स्वभाव का प्रतीक है।
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