राजा बना सकती है शनि-चंद्रमा की जोड़ी | Saturn and Moon Combinion in Kundali

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी घर मे चंद्र और शनि एक साथ शुभ स्थिति में एक ही भाव में बैठे हो तो व्यक्ति को जीवन में कई सुखों की प्राप्ति होती है। आइये जानें कि चंद्र और शनि की युति के क्या-क्या फल हो सकते हैं...

कुंडली में शनि-चंद्र का मिलन क्या देता है प्रभाव


पहला योग -जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हैं, वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, लोभी, आलसी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।

दूसरा योग -किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।

तीसरा योग- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है। लेकिन ऐसे लोग स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला हो सकते हैं।

चौथा योग - चंद्र और शनि, किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।


दोस्तों, यहां सिर्फ शनि और चंद्र की युति का फल बताया गया है। अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर शनि-चंद्र के फल बदल भी सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कुंडली में अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय रहती है।

शनि-चंद्र के इन बुरे प्रभाव से बचने के उपाय...
- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
- शनि की वस्तुएं दान करें।
- दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।
- हनुमानजी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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